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किसी भी कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिये आवश्यक हो जाता है कि उस कार्यक्रम का समय-समय पर अनुश्रवण किया जाये। अनुश्रवण की प्रक्रिया के द्वारा हमें यह जानने में सहायता होती है कि क्या कार्यक्रम अपने लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है अथवा नहीं? सतत् प्रकार के अनुश्रवण करते रहने पर हमें कार्यक्रम की दशा एवं दिशा के बारे में भी ज्ञान होता है। इससे हमें, यदि कार्यक्रम अपनी दिशा से भटक गया है तो कार्यक्रम की दिशा सही करने में सहायता मिलती है। इसी प्रकार से कार्यक्रम का मूल्यांकन हमें अवगत कराता है कि कार्यक्रम क्रियान्वयन के उपरान्त अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में कितना सफल रहा? साथ ही, यह भी आवश्यक नहीं है कि किसी भी कार्यक्रम का मूल्यांकन, उसके समाप्त होने पर ही किया जाये। कार्यक्रम को और सुदृढ़ बनाने के लिये मध्यावधि मूल्यांकन (Mid term evaluation) का भी महत्व होता है। मूल्यांकन के द्वारा हमें किसी भी कार्यक्रम की सफलता या असफलता के बारे में ज्ञान होता है।

Description

यह लेख किसी कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए अनुश्रवण और मूल्यांकन की महत्ता पर आधारित है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे सूचकांकों का सही निर्धारण कार्यक्रम की दिशा, दशा और सफलता का माप करने में मदद करता है। लेख में विभिन्न प्रकार के सूचकांकों की चर्चा की गई है, जैसे कि उपलब्धता, प्रासंगिकता और गुणात्मक संकेतक, जो किसी कार्यक्रम के उद्देश्यों और लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं। कार्यक्रम के लक्षित समूह, विशेषकर कमजोर वर्गों, पर प्रभाव का भी माप किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्यक्रम सभी वर्गों के लिए लाभकारी है।

Keywords

गुणात्मक संकेतक, भागीदारी, कमजोर वर्ग, सफलता या असफलता, बदलाव मापना

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