सहभागी नियोजन व अनुश्रवण प्रशिक्षण

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2003-12-01

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हाल के वर्षों में विभिन्न विकासीय कार्यक्रमों व परियोजनाओं में समुदाय आधारित सहभागी नियोजन को एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में पहचाना गया है। विभिन्न विकास कर्ताओं द्वारा इस बात पर बल दिया जा रहा है कि नियोजन की प्रक्रियायें नीचे से ऊपर की ओर हों, अर्थात आवश्यकताये स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा तय की जायें। इस तरह के प्रयास विकेन्द्रीकृत नियोजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि स्थानीय समुदाय का नियोजन की प्रक्रियाओं पर नियंत्रण हो। साथ ही यह भी आवश्यकता महसूस की जाती रही है कि लोगों की भूमिका विकास प्रक्रिया में नियोजन, क्रियान्वयन व उसके अनुश्रवण/मूल्याँकन में भी सुनिश्चित हो। एक ओर जहाँ समुदाय के साथ प्रक्रियाओं के सहजीकरण की चुनौती है वहीं दूसरी ओर इस बात का भी दबाव रहता है कि कैसे हम अपने हस्तक्षेपों को प्रभावी, कारगर व पारदर्शी बना सके। इस दृष्टि से परिणामों का आँकलन व प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इन्ही मुद्दों पर चर्चा व विश्लेषण करने हेतु एक चार दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन 1-4 दिसम्बर, 2003 तक ऋषिकेश में आयोजित किया गया। प्रस्तुत प्रतिवेदन इसी कार्यक्रम की एक संक्षिप्त झलक है। इस पर आपके सुझाव आमंत्रित है।

Description

यह रिपोर्ट एक प्रशिक्षण कार्यशाला की प्रक्रिया और विषय-वस्तु को प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रतिभागियों का स्वागत, पंजीकरण, परिचय अभ्यास, और सीखने की अपेक्षाओं का आदान-प्रदान किया गया। कार्यशाला में सहभागी नियोजन (Participatory Planning), मूल्यांकन (Evaluation), अनुश्रवण (Monitoring), और समुदाय में सहभागिता बढ़ाने की तकनीकों पर गहन चर्चा हुई। माइक्रोप्लानिंग, उद्देश्यों का निर्धारण, हितधारकों की भूमिका, तथा परियोजना निर्माण के विभिन्न आयामों को समझाया गया। रिपोर्ट सहभागिता आधारित विकास कार्यक्रमों के महत्व और प्रक्रियाओं को व्यावहारिक तरीके से स्पष्ट करती है।

Keywords

सहभागी नियोजन, मूल्यांकन, माइक्रोप्लानिंग, कार्यक्रम निर्माण, सर्वेक्षण और पी.आर.ए.

Citation

वशिष्ठ, हरीश. (2003). सहभागी नियोजन व अनुश्रवण प्रशिक्षण.

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